41. राजस्थान में बौद्धकालीन गुफाएँ कहाँ प्राप्त हुई थी?
[A] कोटा
[B] झालावाड़
[C] भरतपुर
[D] जैसलमेर
Show Answer
Correct Answer: B [झालावाड़]
Notes:
राजस्थान में बौद्धकालीन गुफाएँ झालावाड़ में प्राप्त हुई थी| राजस्थान के झालावाड़ और आसपास के इलाके में किसी समय बौद्ध सभ्यता भी फलती-फूलती थी। यहां करीब 2000 साल पुरानी गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में हैं। करीब 2000 साल पुरानी ये गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित तो हैं, मगर दुनिया ही नहीं, राजस्थान के लोगों की नजरों से भी दूर हैं। कभी यहां ऐसी 50 गुफाएं थीं। समय के साथ अब मुश्किल से कुछ ही बची हैं। 50 गुफाओं में केवल एक चैत्यकक्ष है जिसके अंदर ध्यानमग्न बुद्ध की प्रतिमा स्थित है। आठवीं और नौवीं शताब्दी की बौद्धकालीन गुफाएं कोल्वी, विनायका, हथियागौड़, गुनई में स्थित हैं। यहां बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान के स्थापत्य हैं। यह गुफाएं अश्वनान प्रकार की हैं। इसे चट्टानों को कुरेदकर बनाया गया है।
42. डांगडी रात कब जगाई जाती है?
[A] पुत्र के जन्म पर
[B] वधू के आगमन पर
[C] तीर्थ यात्रा से लौटने पर
[D] खोये पुत्र के मिलने पर
Show Answer
Correct Answer: C [तीर्थ यात्रा से लौटने पर]
Notes:
डांगडी रात तीर्थयात्रा से लौटने पर जगाई जाती है|
43. राजस्थान में कौनसा सम्प्रदाय सगुण एवं निर्गुण भक्ति मार्ग का मिश्रण है?
[A] जसनाथी
[B] रामस्नेही
[C] लालदासी
[D] चरणदासी
Show Answer
Correct Answer: D [चरणदासी]
Notes:
राजस्थान में चरणदासी सम्प्रदाय सगुण एवं निर्गुण भक्ति मार्ग का मिश्रण है| चरणदासी सम्प्रदाय के संस्थापक चरणदास थे| चरणदास जी ने भारत पर नादिर शाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी|
44. राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना कब की गई थी?
[A] 11 जनवरी, 1978
[B] 11 अप्रैल, 1978
[C] 11 अगस्त, 1978
[D] 11 नवंबर, 1978
Show Answer
Correct Answer: D [11 नवंबर, 1978]
Notes:
राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना 11 नवंबर 1978 ई. में उदयपुर में की गई थी| इसकी स्थापना राजस्थान सरकार द्वारा निर्धारित मेहरोत्रा कमेटी की अनुशंषा पर की गई थी|
45. पं. मधुसूदन ओझा की वैदिक पीठ कहाँ पर स्थित है?
[A] जयपुर
[B] जोधपुर
[C] अलवर
[D] उदयपुर
Show Answer
Correct Answer: A [जयपुर]
Notes:
पं. मधुसूदन ओझा की वैदिक पीठ जयपुर में स्थित है| इसे नीदरलैंड की इंटर कल्चरल ओपन यूनिवर्सिटी के सहयोग से स्थापित किया गया है| पं. मधुसूदन ओझा संस्कृत के विद्वान् एवं लगभग दो सौ पुस्तकों के रचयिता थे|
46. बरसा रा डिगोड़ा डुंगर लांघिया के रचयिता कौन थे?
[A] मणि मधुकर
[B] श्रीलाल नथमल जोशी
[C] हमीदुल्ला
[D] नारायण सिंह भाटी
Show Answer
Correct Answer: D [नारायण सिंह भाटी]
Notes:
बरसा रा डिगोड़ा डुंगर लांघिया के रचयिता नारायण सिंह भाटी थे| नारायण सिंह भाटी पुलीस अधीक्षक तथा राजस्थानी भाषा के साहित्यकार थे|इन्होनें 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था| आजादी से पहले यह जैसलमेर के कनोट के हाकम भी रहे थे| इन्हें 4 बार राष्ट्रपति पुलिस पदक और 6 बार गैलेंट्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|
47. डॉ. जयसिंह नीरज कहाँ के निवासी थे?
[A] जयपुर
[B] जोधपुर
[C] अलवर
[D] अजमेर
Show Answer
Correct Answer: C [अलवर]
Notes:
डॉ. जयसिंह नीरज राजस्थान के अलवर जिले के निवासी थे| डॉ. जयसिंह नीरज राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार थे|
48. चरी नृत्य किस जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है?
[A] मीणा
[B] भील
[C] सहरिया
[D] गुर्जर
Show Answer
Correct Answer: D [गुर्जर]
Notes:
चरी नृत्य गुर्जर जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है| चरी नृत्य राजस्थान का आकर्षक व बहुत प्रसिद्ध लोक नृत्य है| यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला सामूहिक लोक नृत्य है| चरी नृत्य राजस्थान में किशनगढ़ और अजमेर के गुर्जर और सैनी समुदाय की महिलाओं का एक सुंदर नृत्य है। चेरी नृत्य राजस्थान में कई बड़े समारोहों, त्योहारों, लडके के जन्म पर, शादी के अवसरों के समय किया जाता है। फलकू बाई इसकी प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं|
49. सपेरा नृत्य किस जाति द्वारा किया जाता है?
[A] भोपा
[B] सहरिया
[C] कालबेलिया
[D] भवाई
Show Answer
Correct Answer: C [कालबेलिया]
Notes:
सपेरा नृत्य कालबेलिया जाति द्वारा किया जाता है| यह जनजाति खास तौर पर इसी नृत्य के लिए जानी जाती है और यह उनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। आनंद और उत्सव के सभी अवसरों पर इस जनजाति के सभी स्त्री और पुरुष इसे प्रस्तुत करते हैं।
50. झूमर नृत्य को किसने प्रसिद्ध किया था?
[A] लाडी बाई
[B] कजरी बाई
[C] मांगी बाई
[D] डाली बाई
Show Answer
Correct Answer: D [डाली बाई]
Notes:
झूमर नृत्य को डाली बाई ने प्रसिद्ध किया था| झूमर नृत्य हाडौती क्षेत्र में स्त्रियों द्वारा मांगलिक अवसरों पर डांडियों की सहायता से किया जाता है|