Rajasthan GK in Hindi - राजस्थान जीके हिंदी में – महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर
31. केसरीसिंह बारहठ ने चेतावनी रा चूंगट्या के 13 सोरठों के माध्यम से 1 जनवरी, 1903 को आयोजित लॉर्ड कर्जन के दरबार में जाने से किसे रोका था?
[A] जयसिंह
[B] कृष्णसिंह
[C] गंगासिंह
[D] फतेहसिंह
[B] कृष्णसिंह
[C] गंगासिंह
[D] फतेहसिंह
Correct Answer: D [फतेहसिंह]
Notes:
केसरीसिंह बारहठ ने चेतावनी रा चूंगट्या के 13 सोरठों के माध्यम से 1 जनवरी, 1903 को आयोजित लॉर्ड कर्जन के दरबार में जाने से मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को रोका था| चेतावनी रा चूंगट्या राजस्थान के इतिहास से सम्बंधित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर केसरीसिंह बारहट ने इसकी रचना की थी। इस कृति की रचना सोरठों में की गई थी। सन 1903 ई. में अंग्रेज़ वायसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा दिल्ली में इतिहास प्रसिद्ध दिल्ली दरबार आयोजित किया गया था। इस दरबार में मेवाड़ के महाराणा फ़तेह सिंह को सम्मिलित होने से रोकने के लिए प्रसिद्ध क्रांतिकारी बारहट केसरीसिंह ने उन्हें सम्बोधित कर चेतावनी रा चूंगट्या नामक कुछ उद्बोधक सोरठे लिखे थे|
केसरीसिंह बारहठ ने चेतावनी रा चूंगट्या के 13 सोरठों के माध्यम से 1 जनवरी, 1903 को आयोजित लॉर्ड कर्जन के दरबार में जाने से मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को रोका था| चेतावनी रा चूंगट्या राजस्थान के इतिहास से सम्बंधित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है। राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर केसरीसिंह बारहट ने इसकी रचना की थी। इस कृति की रचना सोरठों में की गई थी। सन 1903 ई. में अंग्रेज़ वायसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा दिल्ली में इतिहास प्रसिद्ध दिल्ली दरबार आयोजित किया गया था। इस दरबार में मेवाड़ के महाराणा फ़तेह सिंह को सम्मिलित होने से रोकने के लिए प्रसिद्ध क्रांतिकारी बारहट केसरीसिंह ने उन्हें सम्बोधित कर चेतावनी रा चूंगट्या नामक कुछ उद्बोधक सोरठे लिखे थे|
32. रियासत में शिक्षाप्रेमी नानाभाई खांट 19 जून, 1947 को एवं कालीबाई 21 जून, 1947 को अध्यापक श्री सेंगाभाई को बचाने में शहीद हुए| इस कांड को किस नाम से जाना जाता है?
[A] कटारा कांड
[B] सागवाड़ा कांड
[C] रास्तापाल कांड
[D] जलियांवाला कांड
[B] सागवाड़ा कांड
[C] रास्तापाल कांड
[D] जलियांवाला कांड
Correct Answer: C [रास्तापाल कांड]
Notes:
रियासत में शिक्षाप्रेमी नानाभाई खांट 19 जून, 1947 को एवं कालीबाई 21 जून, 1947 को अध्यापक श्री सेंगाभाई को बचाने में शहीद हुए| इस कांड को रास्तापाल कांड के नाम से जाना जाता है| डूंगरपुर रियासत के राजा महरावल नही चाहते थे कि उनके राज्य में शिक्षा का प्रसार हो| क्योंकि शिक्षित होकर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता था;पर नाना भाई खांट ने आदिवासियों में जाग्रति लाने हेतु शिक्षा को ही सही रास्ता समझा और पाठशाला की स्थापना के माध्यम से समाज सुधार और जन जाग्रति का कार्य करने लगे रास्तापाल में पाठशाला खोल एक अध्यापक रख, चलाने लगे वो अध्यापक थे सेंगाभाई, जो रास्तापाल गांव में पाठशाला चला रहे थे| इस सारे क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वीर अनुयायी भील और मीणा बसते थे। विद्यालय के लिए नानाभाई खांट ने अपना भवन दिया था। इससे महारावल नाराज रहते थे। उन्होंने कई बार अपने सैनिक भेजकर नानाभाई और सेंगाभाई को विद्यालय बन्द करने के लिए कहा; पर स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रेमी ये दोनों महापुरुष अपने विचारों पर दृढ़ रहे|
रियासत में शिक्षाप्रेमी नानाभाई खांट 19 जून, 1947 को एवं कालीबाई 21 जून, 1947 को अध्यापक श्री सेंगाभाई को बचाने में शहीद हुए| इस कांड को रास्तापाल कांड के नाम से जाना जाता है| डूंगरपुर रियासत के राजा महरावल नही चाहते थे कि उनके राज्य में शिक्षा का प्रसार हो| क्योंकि शिक्षित होकर व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता था;पर नाना भाई खांट ने आदिवासियों में जाग्रति लाने हेतु शिक्षा को ही सही रास्ता समझा और पाठशाला की स्थापना के माध्यम से समाज सुधार और जन जाग्रति का कार्य करने लगे रास्तापाल में पाठशाला खोल एक अध्यापक रख, चलाने लगे वो अध्यापक थे सेंगाभाई, जो रास्तापाल गांव में पाठशाला चला रहे थे| इस सारे क्षेत्र में महाराणा प्रताप के वीर अनुयायी भील और मीणा बसते थे। विद्यालय के लिए नानाभाई खांट ने अपना भवन दिया था। इससे महारावल नाराज रहते थे। उन्होंने कई बार अपने सैनिक भेजकर नानाभाई और सेंगाभाई को विद्यालय बन्द करने के लिए कहा; पर स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रेमी ये दोनों महापुरुष अपने विचारों पर दृढ़ रहे|
33. भरतपुर में राजनैतिक चेतना जागृत करने हेतु सबसे पहले कौनसी संस्था गठित की गई थी?
[A] भरतपुर कांग्रेस मंडल
[B] भरतपुर प्रजा परिषद्
[C] भरतपुर राज्य प्रजा मंडल
[D] भरतपुर राज्य प्रजा संघ
[B] भरतपुर प्रजा परिषद्
[C] भरतपुर राज्य प्रजा मंडल
[D] भरतपुर राज्य प्रजा संघ
Correct Answer: D [भरतपुर राज्य प्रजा संघ]
Notes:
भरतपुर में राजनैतिक चेतना जागृत करने हेतु सबसे पहले भरतपुर राज्य प्रजा संघ गठित की गई थी| भरतपुर में 1928 ई. में भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना की गई थी| भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना मेकेंजी कि दमनकारी नीति पुलिस अत्याचार एवं मौलिक अधिकारों पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में की गई थी|
भरतपुर में राजनैतिक चेतना जागृत करने हेतु सबसे पहले भरतपुर राज्य प्रजा संघ गठित की गई थी| भरतपुर में 1928 ई. में भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना की गई थी| भरतपुर राज्य प्रजा संघ की स्थापना मेकेंजी कि दमनकारी नीति पुलिस अत्याचार एवं मौलिक अधिकारों पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में की गई थी|
34. शाहपुरा के लोकप्रिय मंत्रिमंडल से मुख्यमंत्री कौन बने थे?
[A] कन्हैयालाल मित्तल
[B] मांगीलाल भव्य
[C] रमेशचन्द्र ओझा
[D] गोकुललाल असावा
[B] मांगीलाल भव्य
[C] रमेशचन्द्र ओझा
[D] गोकुललाल असावा
Correct Answer: D [गोकुललाल असावा]
Notes:
शाहपुरा के लोकप्रिय मंत्रिमंडल से मुख्यमंत्री गोकुललाल असावा बने थे| इन्हें भारतीय इतिहास में देश की स्वतंत्रता के लिए योगदान करने वाले क्रांतिकारियों में गिना जाता है| राजस्थान के निर्माण के बाद वे कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य रहे थे। उनको दक्षिण पूर्व रियासतों को मिलाकर बनाये गए संघ में मुख्यमंत्री बनाया गया था।
शाहपुरा के लोकप्रिय मंत्रिमंडल से मुख्यमंत्री गोकुललाल असावा बने थे| इन्हें भारतीय इतिहास में देश की स्वतंत्रता के लिए योगदान करने वाले क्रांतिकारियों में गिना जाता है| राजस्थान के निर्माण के बाद वे कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य रहे थे। उनको दक्षिण पूर्व रियासतों को मिलाकर बनाये गए संघ में मुख्यमंत्री बनाया गया था।
35. तेजाजी महाराज का पवित्र तीर्थस्थल बाँसी दुगारी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
[A] कोटा
[B] बूंदी
[C] बारां
[D] झालावाड़
[B] बूंदी
[C] बारां
[D] झालावाड़
Correct Answer: B [बूंदी]
Notes:
तेजाजी महाराज का पवित्र तीर्थस्थल बाँसी दुगारी राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है| तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी ने ग्यारवीं सदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म – बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात – पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया।
तेजाजी महाराज का पवित्र तीर्थस्थल बाँसी दुगारी राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है| तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी ने ग्यारवीं सदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म – बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात – पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया।
36. राजस्थान में किस रियासत ने सती प्रथा को सर्वप्रथम गैर-कानूनी घोषित किया था?
[A] जयपुर
[B] बूंदी
[C] उदयपुर
[D] बीकानेर
[B] बूंदी
[C] उदयपुर
[D] बीकानेर
Correct Answer: A [जयपुर]
Notes:
राजस्थान में जयपुर रियासत ने सती प्रथा को सर्वप्रथम गैर-कानूनी घोषित किया था| इस प्रथा में जीवित विधवा पत्नी को मृत पति की चिता पर ज़िंदा जला दिया जाता था।
राजस्थान में जयपुर रियासत ने सती प्रथा को सर्वप्रथम गैर-कानूनी घोषित किया था| इस प्रथा में जीवित विधवा पत्नी को मृत पति की चिता पर ज़िंदा जला दिया जाता था।
37. राजस्थान में भक्ति आन्दोलन का अलख जगाने वाले प्रथम संत कौन थे?
[A] धन्ना जी
[B] दादूदयाल
[C] पीपाजी
[D] सुन्दरदास
[B] दादूदयाल
[C] पीपाजी
[D] सुन्दरदास
Correct Answer: C [पीपाजी]
Notes:
राजस्थान में भक्ति आन्दोलन का अलख जगाने वाले प्रथम संत पीपा जी थे| पीपाजी गागरोन के शाक्त राजा एवं सन्त कवि थे। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा 27 पद, 154 साखियां, चितावणि व क-कहारा जोग ग्रंथ इनके द्वारा रचित संत साहित्य की अमूल्य निधियां हैं।
राजस्थान में भक्ति आन्दोलन का अलख जगाने वाले प्रथम संत पीपा जी थे| पीपाजी गागरोन के शाक्त राजा एवं सन्त कवि थे। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा 27 पद, 154 साखियां, चितावणि व क-कहारा जोग ग्रंथ इनके द्वारा रचित संत साहित्य की अमूल्य निधियां हैं।
38. चौमुखा जैन मंदिर राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
[A] जयपुर
[B] जोधपुर
[C] पाली
[D] धौलपुर
[B] जोधपुर
[C] पाली
[D] धौलपुर
Correct Answer: C [पाली]
Notes:
चौमुखा जैन मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है| यह मंदिर चारो ओर से जंगलों से घिरा हुआ है| भारत के जैन मंदिरों में इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है| यह परिसर लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है| मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है।
चौमुखा जैन मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है| यह मंदिर चारो ओर से जंगलों से घिरा हुआ है| भारत के जैन मंदिरों में इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है| यह परिसर लगभग 40,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है| मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है।
39. नारायणी माता का मेला कब लगता है?
[A] बैशाख शुक्ल चतुर्थी
[B] बैशाख पूर्णिमा
[C] बैशाख कृष्णा तृतीया
[D] बैशाख शुक्ल एकादशी
[B] बैशाख पूर्णिमा
[C] बैशाख कृष्णा तृतीया
[D] बैशाख शुक्ल एकादशी
Correct Answer: D [बैशाख शुक्ल एकादशी]
Notes:
नारायणी माता का मेला प्रतिवर्ष बैशाख शुक्ल एकादशी को अलवर में लगता है| नारायणी माता का मंदिर चारो ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों व जंगलों से घिरा हुआ है| यहां पर प्राकृतिक जल की धारा फूट रही है, जो लगभग दो कि.मी. की दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है। फर्श की दरारों से पानी स्वतः ही भूमि से निकल रहा है, जो कुण्ड में मात्र एक फीट के लगभग भरा रहता है। कुण्ड में एक चमत्कार नजर आता है। इसके अन्दर सिक्कों के होने का आभास होता है, परन्तु उनको पानी से बाहर निकालते ही वे पत्थर में परिवर्तित हो जाते हैं। गर्मियों में ठंडा व सर्दियों में गर्म जल आता है। यहां प्रत्येक वर्ष भाद्रपद सुदी 14 को रात्रि जागरण एवं पूर्णिमा को मेला लगता है एवं भण्डारा होता है। साथ ही लोक कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है| मान्यता है कि सेन समाज की कुलदेवी माता नारायणी का विवाह हुआ व प्रथम बार उनके पति के साथ वे अपने ससुराल जा रही थीं। चूंकि उस समय आवागमन के साधन नहीं थे, इसलिए दोनों पैदल ही जा रहे थे। गर्मियों के दिन थे, इसीलिए उन्होंने जंगल में एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने का विचार किया। जब वे विश्राम कर रहे थे, तभी अचानक एक सांप ने आकर उनके पति को ढंस लिया और वे वहीं मर गये। कहा जाता है कि जंगल सूना था और दोपहर का समय था। नारायणी माता बिलख-बिलख कर रोने लगीं। शाम के समय कुछ ग्वाल अपनी गायों को लेकर वहां से गुजरे तो नारायणी माता ने उनसे उनके पति के दाह संस्कार के लिए चिता बनाने को कहा। ग्वालों ने आसपास से लकड़ियाँ लाकर चिता तैयार की। मान्यता है कि उस समय सती प्रथा थी। इसीलिए अपने पति को साथ लेकर नारायणी माता भी उनके साथ चिता पर बैठ गईं। अचानक चिता में आग प्रज्वलित हो गई, जिसे ग्वालों ने चमत्कार मान नारायणी माता से प्रार्थना की कि- हे माता! हम आपको देवी रूप मानकर आपसे कुछ मांगना चाहते हैं। चिता से आवाज़ आई कि- जो मांगना है मांग लो। उस समय अकाल पड़ा हुआ था। ग्वालों ने कहा कि- हे माता! हमारे इस स्थान पर पानी की कमी है, जिससे हमारे जानवर मर रहे हैं। कृपा कर हम पर दया करें। चिता से आवाज आई कि- तुम में से एक व्यक्ति इस चिता से लकड़ी उठा कर भागो और पीछे मुड़कर मत देखना। जहां भी तुम पीछे मुड़कर देखोगे, पानी की धारा वहीं रुक जायेगी। एक ग्वाला लकड़ी उठाकर भागा और भागते-भागते वह दो कोस के करीब पहुंच गया। उसके मन में शंका हुई कि कहीं देखूँ पानी आ रहा है या नहीं और जैसे ही उसने पीछे मुढ़कर देखा पानी वहीं रुक गया। आज उसी चिता वाले स्थान पर कुण्ड बना दिया गया है और उस कुण्ड से धारा के रूप में पानी दो कोस दूर जाकर समाप्त हो जाता है, जो एक चमत्कार है।
नारायणी माता का मेला प्रतिवर्ष बैशाख शुक्ल एकादशी को अलवर में लगता है| नारायणी माता का मंदिर चारो ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों व जंगलों से घिरा हुआ है| यहां पर प्राकृतिक जल की धारा फूट रही है, जो लगभग दो कि.मी. की दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है। फर्श की दरारों से पानी स्वतः ही भूमि से निकल रहा है, जो कुण्ड में मात्र एक फीट के लगभग भरा रहता है। कुण्ड में एक चमत्कार नजर आता है। इसके अन्दर सिक्कों के होने का आभास होता है, परन्तु उनको पानी से बाहर निकालते ही वे पत्थर में परिवर्तित हो जाते हैं। गर्मियों में ठंडा व सर्दियों में गर्म जल आता है। यहां प्रत्येक वर्ष भाद्रपद सुदी 14 को रात्रि जागरण एवं पूर्णिमा को मेला लगता है एवं भण्डारा होता है। साथ ही लोक कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है| मान्यता है कि सेन समाज की कुलदेवी माता नारायणी का विवाह हुआ व प्रथम बार उनके पति के साथ वे अपने ससुराल जा रही थीं। चूंकि उस समय आवागमन के साधन नहीं थे, इसलिए दोनों पैदल ही जा रहे थे। गर्मियों के दिन थे, इसीलिए उन्होंने जंगल में एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने का विचार किया। जब वे विश्राम कर रहे थे, तभी अचानक एक सांप ने आकर उनके पति को ढंस लिया और वे वहीं मर गये। कहा जाता है कि जंगल सूना था और दोपहर का समय था। नारायणी माता बिलख-बिलख कर रोने लगीं। शाम के समय कुछ ग्वाल अपनी गायों को लेकर वहां से गुजरे तो नारायणी माता ने उनसे उनके पति के दाह संस्कार के लिए चिता बनाने को कहा। ग्वालों ने आसपास से लकड़ियाँ लाकर चिता तैयार की। मान्यता है कि उस समय सती प्रथा थी। इसीलिए अपने पति को साथ लेकर नारायणी माता भी उनके साथ चिता पर बैठ गईं। अचानक चिता में आग प्रज्वलित हो गई, जिसे ग्वालों ने चमत्कार मान नारायणी माता से प्रार्थना की कि- हे माता! हम आपको देवी रूप मानकर आपसे कुछ मांगना चाहते हैं। चिता से आवाज़ आई कि- जो मांगना है मांग लो। उस समय अकाल पड़ा हुआ था। ग्वालों ने कहा कि- हे माता! हमारे इस स्थान पर पानी की कमी है, जिससे हमारे जानवर मर रहे हैं। कृपा कर हम पर दया करें। चिता से आवाज आई कि- तुम में से एक व्यक्ति इस चिता से लकड़ी उठा कर भागो और पीछे मुड़कर मत देखना। जहां भी तुम पीछे मुड़कर देखोगे, पानी की धारा वहीं रुक जायेगी। एक ग्वाला लकड़ी उठाकर भागा और भागते-भागते वह दो कोस के करीब पहुंच गया। उसके मन में शंका हुई कि कहीं देखूँ पानी आ रहा है या नहीं और जैसे ही उसने पीछे मुढ़कर देखा पानी वहीं रुक गया। आज उसी चिता वाले स्थान पर कुण्ड बना दिया गया है और उस कुण्ड से धारा के रूप में पानी दो कोस दूर जाकर समाप्त हो जाता है, जो एक चमत्कार है।
40. राजस्थान में शिक्षा आपके द्वार योजना कब शुरू की गई थी?
[A] 19 नवंबर, 2001
[B] 19 नवंबर, 2002
[C] 19 नवंबर, 2003
[D] 19 नवंबर, 2004
[B] 19 नवंबर, 2002
[C] 19 नवंबर, 2003
[D] 19 नवंबर, 2004
Correct Answer: A [19 नवंबर, 2001]
Notes:
राजस्थान में शिक्षा आपके द्वार योजना 19 नवंबर, 2001 में शुरू की गई थी|
राजस्थान में शिक्षा आपके द्वार योजना 19 नवंबर, 2001 में शुरू की गई थी|