सुभाष चंद्र बोस एक साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे और 1938 के अंत में एक और कार्यकाल चाहते थे। उनका मानना था कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के सामने जर्मनी का खतरा भारत में व्यापक असहयोग आंदोलन शुरू करने का सही अवसर था। लेकिन गांधीजी उनके दोबारा अध्यक्ष बनने के पक्ष में नहीं थे। सुभाष अपने फैसले पर अडिग रहे और चुनाव हुआ, जिसमें उनका मुकाबला आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पट्टाभि सीतारमैया से हुआ। गांधीजी ने सीतारमैया का समर्थन किया। 29 जनवरी 1939 को हुए चुनाव में सुभाष 1580 बनाम 1375 वोटों से विजयी हुए। हालांकि, उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और अप्रैल 1939 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, उन्होंने मई 1939 में कांग्रेस के भीतर फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। उनके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस अध्यक्ष बने।
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