1857 के विद्रोह के पहले शहीद मंगल पांडे 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सिपाही थे। उन्होंने ग्रीस लगे कारतूसों का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया और बैरकपुर में परेड के दौरान अकेले ही ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला कर उन्हें मार डाला। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर 8 अप्रैल 1857 को बैरकपुर में फांसी दे दी गई। उनकी रेजिमेंट भंग कर दी गई और विद्रोह में शामिल सिपाहियों को दंडित किया गया।
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