प्रतापरुद्र या रुद्रदेव II काकतीय वंश के अंतिम शासक और महान रुद्रमादेवी के पोते थे। 1310 में अलाउद्दीन खिलजी ने पहली बार आक्रमण किया, जिसके बाद प्रतापरुद्र ने दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार कर ली। अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद उन्होंने कर देना बंद कर दिया, लेकिन 1318 में मुबारक शाह के आक्रमण के बाद फिर से कर देने के लिए मजबूर हुए। खिलजी वंश के अंत के बाद उन्होंने दोबारा कर देना बंद कर दिया। 1323 में गयासुद्दीन तुगलक के आक्रमण से काकतीय वंश का अंत हो गया और उनकी भूमि दिल्ली सल्तनत में मिला ली गई।
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