ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करके हिंदू हितों की रक्षा करना।
स्वराज पार्टी का गठन 1923 में हुआ था। सी. आर. दास की मृत्यु के बाद विचारधारा के आधार पर पार्टी दो गुटों में बंट गई—रिस्पॉन्सिविस्ट और नॉन-रिस्पॉन्सिविस्ट। लाला लाजपत राय, एन. सी. केलकर और मदन मोहन मालवीय रिस्पॉन्सिविस्ट गुट में थे, जो ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग कर हिंदू हितों की रक्षा करना चाहते थे। 1926 में नॉन-रिस्पॉन्सिविस्ट गुट, जिसमें मोतीलाल नेहरू शामिल थे, ने विधायिकाओं से इस्तीफा दे दिया।
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