बंगाल विभाजन के विरोध में
स्वदेशी आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उभरते राष्ट्रवाद का हिस्सा था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त कर भारत की आर्थिक स्थिति सुधारना था। स्वदेशी आंदोलन के तहत ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और देशी उत्पादों व उत्पादन प्रक्रियाओं को बढ़ावा दिया गया। यह आंदोलन 1905 में भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन द्वारा किए गए बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ और 1908 तक चला। यह विभाजन अक्टूबर 1905 में लागू हुआ, जिससे मुस्लिम बहुल पूर्वी क्षेत्र और हिंदू बहुल पश्चिमी क्षेत्र अलग हो गए। ब्रिटिश सरकार ने इसे 'फूट डालो और राज करो' नीति के तहत किया। 1911 में बंगाल को पुनः एकीकृत किया गया।
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