सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित था और 1025 AD में महमूद गजनवी ने इसे लूटा था। हिंदू मंदिरों पर उसके हमलों और लूटपाट के कारण उसे बुतशिकन (मूर्तियों का विध्वंसक) भी कहा जाता था। इस मंदिर का पुनर्निर्माण परमार वंश के राजा भोज और अन्हिलवाड़ा के सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 से 1042 AD के बीच किया था। मध्यकालीन भारत के इतिहास में यह मंदिर कई बार नष्ट हुआ और फिर से बनाया गया।
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