सिंडर कोन ज्वालामुखी का एक प्रकार है। यह सबसे सरल और सामान्य ज्वालामुखी होता है। इसे ऐश कोन भी कहा जाता है। यह ज्वालामुखीय राख, ठोस लावा और गर्म गैसों जैसे पाइरोक्लास्टिक टुकड़ों से बनता है, जो एक ही वेंट से बाहर निकलते हैं। जब गैस से भरा लावा हवा में उछलता है, तो यह छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर ठोस हो जाता है और वेंट के चारों ओर गिरता है, जिससे एक गोल या अंडाकार आकार का कोन बनता है।
सिंडर कोन कभी बहुत बड़े नहीं होते और इनकी ढलान लगभग 33 डिग्री होती है। ये नए ज्वालामुखी हो सकते हैं या पहले से मौजूद ज्वालामुखियों के वेंट पर बन सकते हैं। इनकी ऊंचाई अधिकतम 1000 फीट तक होती है, जो एक पहाड़ी के आकार की होती है।
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