कर्नाटक क्षेत्र में जैन मंदिरों को 'बसदि' और पश्चिमी भारत में 'देरासर' कहा जाता है। दक्षिण भारत में जैन धर्म के प्रसार को लेकर अलग-अलग कथाएँ प्रचलित हैं, लेकिन कर्नाटक में इसके प्रसार के शिलालेखीय प्रमाण तीसरी शताब्दी ईस्वी से पहले के नहीं मिलते। बाद की शताब्दियों में, विशेष रूप से छठी शताब्दी ईस्वी से, कर्नाटक में कई जैन मठों की स्थापना हुई, जिन्हें 'बसदि' कहा जाता था। राजाओं ने इनके संरक्षण के लिए भूमि अनुदान भी दिए।
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