देव राय-II, जिन्होंने 1422 से 1446 ईस्वी तक विजयनगर साम्राज्य पर शासन किया, को "गजाबेंटकारा" की उपाधि मिली थी। इस उपाधि का अर्थ "हाथियों का शिकारी" है, जो उनके उन शत्रुओं पर विजय को दर्शाता है जो हाथियों की तरह शक्तिशाली थे।
देव राय-II को "गजाबेटकारा" भी कहा जाता था, जिसका अर्थ भी "हाथियों का शिकारी" है। वे विजयनगर साम्राज्य के संगम वंश के महानतम शासक माने जाते हैं। वे एक विद्वान थे जिन्होंने कन्नड़ में "सोबगिना सोने" और संस्कृत में "सुधानिधि" व "ब्रह्मसूत्र" नाटक लिखे। उन्होंने सेना में मुस्लिम अश्वारोही और धनुर्धारियों को शामिल करने की परंपरा भी शुरू की।
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