भूमि राजस्व की रैयतवाड़ी प्रणाली मद्रास प्रेसीडेंसी में 1820 से 1827 के बीच गवर्नर सर थॉमस मुनरो द्वारा लागू की गई थी। इसके बाद इसे बॉम्बे और असम में अपनाया गया। इस प्रणाली की विशेषताएँ थीं-
b) किसान अपनी भूमि का उपयोग, बिक्री, बंधक, उत्तराधिकार और पट्टे पर देने का अधिकार रखते थे, बशर्ते वे कर चुकाते रहें। यानी इस प्रणाली ने भूमि धारकों को स्वामित्व अधिकार दिए।
e) सरकार को जब भी आवश्यक लगे, भूमि राजस्व बढ़ाने का अधिकार था।
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