विशाखदत्त प्रसिद्ध कवि और नाटककार थे। वे 750 ईस्वी के समय के माने जाते हैं। उन्होंने संस्कृत में सुंदर शब्दों का प्रयोग कर नाटक लिखे। उनके दो प्रमुख नाटक "मुद्राराक्षस" और "देवीचंद्रगुप्त" हैं। उन्होंने अपने पिता और दादा का उल्लेख मुद्राराक्षस में किया है। यह नाटक अमात्य राक्षस के इर्द-गिर्द घूमता है। इसमें कई पात्र हैं, जिनमें राजनीतिक विषय, विवादास्पद प्रसंग, दृश्य गीत और संवाद शामिल हैं।
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