1918 में मोंटेग्यू रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस में मतभेद हो गया। उदारवादियों ने इसका समर्थन किया जबकि उग्रवादियों ने विरोध किया। इससे कांग्रेस में विभाजन हुआ और 1919 में उदारवादी नेताओं ने "इंडियन नेशनल लिबरल फेडरेशन" की स्थापना की। इस दल की स्थापना सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने की थी और इसके प्रमुख नेताओं में तेज बहादुर सप्रू, एस. श्रीनिवास शास्त्री और एम. आर. जयकर शामिल थे।
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