यक्षगान भारत का एक विशिष्ट रंगमंचीय कला रूप है, जो मुख्य रूप से कर्नाटक में प्रचलित और विकसित हुआ है। यह विशेष रूप से दक्षिण कन्नड़, उडुपी, उत्तर कन्नड़, शिमोगा और चिकमगलूर के पश्चिमी भागों में लोकप्रिय है। नृत्य, संगीत, संवाद, वेशभूषा, श्रृंगार और मंचीय तकनीकों का अनूठा संगम इसे विशिष्ट बनाता है। इसकी लोकप्रियता केरल के कासरगोड जिले तक भी फैली हुई है, जो इसकी व्यापक स्वीकृति और प्रभाव को दर्शाता है।
This Question is Also Available in:
English