रैयतवारी प्रणाली 1820 में थॉमस मुनरो द्वारा शुरू की गई थी। इसे मुख्य रूप से मद्रास, बॉम्बे, असम के कुछ हिस्सों और कूर्ग प्रांतों में लागू किया गया था। इस प्रणाली में किसानों को भूमि का स्वामित्व दिया गया और ब्रिटिश सरकार ने सीधे किसानों से कर वसूला। सूखी भूमि पर कर की दर 50% और सिंचित भूमि पर 60% थी। 1793 में कॉर्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त अधिनियम के तहत जमींदारी प्रणाली लागू की थी। यह बंगाल, बिहार, उड़ीसा और वाराणसी में लागू की गई और इसे स्थायी बंदोबस्त प्रणाली भी कहा जाता है। 1833 में विलियम बेंटिक के शासनकाल में महालवारी प्रणाली शुरू की गई थी। इसे ब्रिटिश भारत के मध्य प्रांत, उत्तर-पश्चिम सीमा, आगरा, पंजाब और गंगा घाटी जैसे क्षेत्रों में लागू किया गया था। महालवारी प्रणाली में उत्तर और दक्षिण दोनों क्षेत्रों के तत्व शामिल थे।
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