सहायक संधि का सिद्धांत 1798 से 1805 तक भारत के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल मार्क्वेस (या लॉर्ड) वेलेजली द्वारा शुरू किया गया था। इस सिद्धांत के तहत, ब्रिटिश संरक्षण में रहने वाले भारतीय शासकों ने अपनी विदेशी नीतियों का नियंत्रण ब्रिटिशों को सौंप दिया। सबसे पहले हैदराबाद ने इसे स्वीकार किया। पाँच मराठा प्रमुख निम्नलिखित वर्षों में सहायक संधि में शामिल हुए: पेशवा - 1802, सिंधिया - 1804, गायकवाड़ - 1805, भोंसले - 1806, होल्कर - 1818।
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