जिले में शुरू हुआ था। यह 1980 में समाप्त हुआ। इस ऑपरेशन के तहत पुलिस ने परीक्षण या दोषी अपराधियों की आंखों में तेजाब डालकर उन्हें अंधा कर दिया था। 1979 से 1980 के घटनाओं को 'भागलपुर ब्लाइंडिंग्स' के रूप में भी जाना जाता है। भागलपुर ब्लाइंडिंग केस ने आपराधिक न्यायशास्त्र के इतिहास में पहली बार भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा आदेशित किए जाने का इतिहास बनाया।
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