पॉकेट वीटो की स्थिति में राष्ट्रपति न तो विधेयक को मंजूरी देते हैं, न अस्वीकार करते हैं और न ही उसे वापस भेजते हैं, बल्कि उसे अनिश्चित काल तक लंबित रख सकते हैं। संविधान में ऐसा कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है, जिसके भीतर राष्ट्रपति को विधेयक पर निर्णय लेना आवश्यक हो। 1986 में राष्ट्रपति जैल सिंह ने भारतीय डाकघर (संशोधन) विधेयक पर पॉकेट वीटो का उपयोग किया था।
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