पुस्तक "Poverty and Un-British Rule in India" के लेखक दादाभाई नौरोजी हैं। उन्हें "भारत के वृद्ध पुरुष" के रूप में जाना जाता है। वे 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत के प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी, विद्वान और राजनीतिक नेता थे। उन्होंने ब्रिटिश आर्थिक नीतियों की आलोचना की, जो भारत में गरीबी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार थीं। यह पुस्तक उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है और ब्रिटिश उपनिवेशवाद पर भारतीय दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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