Q. ‘पटिच्च समुप्पाद’ या ‘प्रतित्यसमुत्पाद’ निम्न में से किससे संबंधित है? Answer:
बौद्ध धर्म
Notes:
जीवन के निरंतर प्रवाह और एक घटना से दूसरी घटना के संबंध को कारण-कार्य श्रृंखला (पटिच्च समुप्पाद या प्रतित्यसमुत्पाद) द्वारा समझाया गया है, जिसका अर्थ है 'परस्पर निर्भर उत्पत्ति'।
जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म की प्रक्रिया का मूल कारण अज्ञान है, जो यह भ्रम पैदा करता है कि व्यक्तित्व और स्थायित्व वास्तविक हैं, जबकि वे नहीं हैं।
इस कारण जीव में विभिन्न मानसिक प्रक्रियाएं उत्पन्न होती हैं, जिनमें इच्छा भी शामिल है, जो चीजों को अपनाने की प्रवृत्ति को जन्म देती है। यह विशेष रूप से यौन आकांक्षा और यौन संबंध के रूप में प्रकट होती है, जो श्रृंखला की अगली कड़ियों का वास्तविक कारण बनती हैं। यह प्रक्रिया वृद्धावस्था और मृत्यु तक चलती है और अनिश्चितकाल तक दोहराई जाती रहती है।
इस प्रकार कर्म के सिद्धांत के अनुसार पुनर्जन्म होता है। बौद्ध धर्म में कर्म की अवधारणा हिंदू धर्म से मूल रूप से भिन्न नहीं है, लेकिन इसे अलग तरीके से समझाया गया है।