एस. मुथुलक्ष्मी रेड्डी
1907 में एस. मुथुलक्ष्मी रेड्डी मद्रास मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा स्नातक के लिए प्रवेश लेने वाली पहली महिला बनीं। 1926 में उन्हें मद्रास विधान परिषद की सदस्य के रूप में नामित किया गया, जिससे वे पहली महिला विधायिका बनीं। 1927 में उन्होंने एक अधिनियम के माध्यम से देवदासी प्रथा को समाप्त कराने में सफलता प्राप्त की। इस अधिनियम के तहत हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम में संशोधन किया गया। 1917 में महिला भारतीय संघ की स्थापना के समय से ही वे इसकी सक्रिय सदस्य थीं और 1933 में श्रीमती बेसेंट के निधन के बाद इसकी अध्यक्ष बनीं।
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