आंध्र प्रदेश का नरसापुरम लेस क्राफ्ट प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त कर चुका है। यह क्राफ्ट लगभग 150 साल पहले शुरू हुआ था और इसे कृषि समुदाय की महिलाओं ने बनाया था। इसने 1899 के भारतीय अकाल और 1929 की महान मंदी का सामना किया था। 1900 के दशक की शुरुआत तक 2000 से अधिक महिलाएँ इस क्राफ्ट से जुड़ी थीं। यह लेस पतले धागों और क्रोशिया सुइयों से बनाई जाती है जिससे डॉइल्स, तकिया कवर और बेडस्प्रेड जैसे आइटम तैयार किए जाते हैं। नरसापुर के लेस उत्पाद अमेरिका, यूके और फ्रांस को निर्यात किए जाते हैं।
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