1829 से 1833 तक चला खासी विद्रोह ब्रिटिश शासन के खिलाफ खासी जनजाति का संघर्ष था। तिरोत सिंह सिएम के नेतृत्व में खासी लोगों ने अंग्रेजों द्वारा उनकी भूमि पर सड़क निर्माण और नियंत्रण स्थापित करने के प्रयासों का विरोध किया। यह विद्रोह पहाड़ी इलाकों में छापामार युद्ध के रूप में लड़ा गया, जहां खासी लोगों ने भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उठाया। हालांकि उन्होंने बहादुरी से संघर्ष किया, लेकिन ब्रिटिश सेना ने बेहतर हथियारों के बल पर विद्रोह को दबा दिया। यह विद्रोह औपनिवेशिक शासन के प्रति खासी असंतोष को दर्शाता है।
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