1942 में गांधीजी ने अहिंसक आंदोलन शुरू करने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए स्पष्ट किया कि भारत छोड़ो आंदोलन व्यक्तिगत हिंसा की घटनाओं से नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन की वर्तमान प्रणाली का "व्यवस्थित अराजकता" वास्तविक अराजकता से भी बदतर है। गांधीजी ने सभी कांग्रेसजनों और भारतीयों से अनुशासन बनाए रखने और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए स्वतंत्रता के लक्ष्य के लिए "करो या मरो" का पालन करने का आह्वान किया।
This Question is Also Available in:
English