मोहम्मद अली जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के सदस्य थे। उन्होंने 1916 में लखनऊ में दोनों दलों के बीच समझौता कराया ताकि ब्रिटिश सरकार पर अधिक उदार नीति अपनाने और भारतीयों को अपने देश का प्रशासन चलाने के लिए अधिक अधिकार देने का दबाव बनाया जा सके। कांग्रेस और लीग के बीच इस मेल-मिलाप के कारण सरोजिनी नायडू ने उन्हें "हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत" की उपाधि दी।
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