द्वितीय अंग्लो-मैसूर युद्ध (1780-84): इस युद्ध का तात्कालिक कारण ब्रिटिश सैनिकों द्वारा वॉरेन हेस्टिंग्स के नेतृत्व में फ्रांसीसी बंदरगाह माहे पर किया गया हमला था। इसके बाद हैदर अली ने निजाम और मराठों के साथ मिलकर एक संयुक्त मोर्चा बनाया और अर्काट पर कब्जा कर लिया। लेकिन सर एयरे कूट के आगमन के कारण हैदर अली को पोर्टो नोवो, पलूर और शोलिंगुर की लड़ाइयों में हार का सामना करना पड़ा। युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उनके पुत्र टीपू सुल्तान ने संघर्ष जारी रखा। इसी बीच फ्रांसीसियों ने उनकी सहायता की और अंततः 1784 में मैंगलोर संधि पर हस्ताक्षर किए गए।
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