कर्नाटक के दावणगेरे जिले के चन्नागिरी क्षेत्र से हक्की पिक्की जनजाति के 22 सदस्यों को नीतिगत बदलावों के कारण गाबोन छोड़ने का आदेश दिया गया था। हक्की पिक्की एक अर्ध-घुमंतू जनजाति है जो पारंपरिक रूप से पक्षी पकड़ने और शिकार करने के लिए जानी जाती है। यह कर्नाटक की प्रमुख जनजातियों में से एक है और पश्चिमी व दक्षिणी भारत के जंगलों के पास भी पाई जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, दावणगेरे, मैसूरु, कोलार, हासन और शिवमोग्गा जिलों में 11,892 हक्की पिक्की लोग रहते हैं। भारत में इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है। इनकी मातृभाषा वागरी को यूनेस्को ने संकटग्रस्त भाषा के रूप में सूचीबद्ध किया है।
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