हिमाचल प्रदेश और हरियाणा करेंगे आदि बद्री बांध (Adi Badri Dam) का निर्माण
21 जनवरी, 2022 को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने यमुनानगर जिले के आदि बद्री में एक बांध बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
आदि बद्री बांध (Adi Badri Dam)
- यह बांध पौराणिक सरस्वती नदी (Saraswati River) का कायाकल्प करेगा।
- यह हरियाणा में हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास स्थित है।
- इस स्थान को नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
- सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार से धार्मिक मान्यताओं को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
- इस क्षेत्र को तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
- हिमाचल प्रदेश में 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बांध बनाया जाएगा। इसकी चौड़ाई 101.06 मीटर और ऊंचाई 20.5 मीटर है।
- इस परियोजना की कुल लागत 215.33 करोड़ रुपये है।
- आदि बद्री बांध को सोम नदी से भी पानी मिलेगा, जो यमुनानगर में आदि बद्री के पास यमुना नदी में गिरती है।
इस बांध की क्षमता हर साल 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी की होगी। इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा को 61.88 हेक्टेयर पानी मिलेगा जबकि शेष सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा।
परियोजना का उद्देश्य
आदि बद्री बांध सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने और भूजल स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया जाएगा। यह बांध अत्यधिक वर्षा से उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने में भी मदद करेगा। इस बांध के पास एक झील भी बनाई जा रही है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
पृष्ठभूमि
सरस्वती नदी के पुनरुद्धार पर शोध 1986-87 में शुरू हुआ था। यमुनानगर के आदि बद्री से अनुसंधान शुरू हुआ और कच्छ तक पहुंच गया।
शोध कौन कर रहा है?
सरस्वती नदी पर अनुसंधान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड द्वारा किया जा रहा है।
सरस्वती नदी (Sarasvati River)
सरस्वती ऋग्वेद के साथ-साथ बाद के वैदिक और उत्तर-वैदिक ग्रंथों में वर्णित एक देवी है। इस नदी ने वैदिक धर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे उत्तर-पश्चिमी भारत में एक महान और पवित्र नदी माना जाता है। यह हिमालय में कपाल तीर्थ से निकली, मानसरोवर की ओर बहती हुई और फिर पश्चिम की ओर मुड़ गई। यह हरियाणा, राजस्थान और उत्तरी गुजरात से होकर बहती थी। यह पाकिस्तान से होकर भी बहती थी और अंत में कच्छ के रण से होते हुए पश्चिमी सागर से मिलती थी। इस नदी की लंबाई लगभग 4,000 किमी थी।