वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2021 जारी किया गया
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक हाल ही में जर्मनी के बॉन में स्थित जर्मनवाच नामक एक एनजीओ द्वारा जारी किया गया। इस सूचकांक में, भारत को उन देशों में सातवें स्थान पर रखा गया है जो 2019 में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित थे।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में मानसून सामान्य से एक अधिक महीने तक जारी रहा।
- जून से सितंबर 2019 की अवधि में, लंबी अवधि का औसत 110% दर्ज किया गया था।
- भारी बारिश के कारण भारत में भयंकर बाढ़ आई, जिसके परिणामस्वरूप 14 राज्यों में 1,800 लोग मारे गए।बाढ़ से 8 मिलियन लोगों का विस्थापन भी हुआ।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आठ उष्णकटिबंधीय चक्रवात आये थे।
- इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, ‘अत्यधिक गंभीर’ चक्रवात फेनी ने 28 मिलियन लोगों को प्रभावित किया और भारत और बांग्लादेश में इसके कारण 90 लोगों की मौत हुई थी।
- 2000 से 2019 के बीच वैश्विक स्तर पर 11,000 से अधिक चरम मौसम की घटनाओं के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में लगभग 4,75,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
- 2000 से 2014 की अवधि के लिए, चरम मौसम की स्थिति के कारण लगभग 56 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रय शक्ति समता का आर्थिक नुकसान हुआ।
- इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 8 मिलियन लोग मानसून से प्रभावित थे, जिसके परिणामस्वरूप 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक क्षति हुई।
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI)
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स जर्मनवॉच द्वारा सालाना प्रकाशित किया जाता है। यह सूचकांक देश और अर्थव्यवस्था पर चरम जलवायु घटनाओं के प्रभाव का विश्लेषण करता है। यह विश्लेषण करता है कि मौसम संबंधी नुकसान की घटनाओं के प्रभावों से देश कैसे प्रभावित हुए हैं।
जर्मनवाच
यह एक गैर-लाभकारी गैर-सरकारी संगठन है जिसे 1991 में स्थापित किया गया था। यह एनजीओ जर्मनी के बॉन में स्थित है। यह व्यापार और पर्यावरण पर सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।