लक्षद्वीप को 100% जैविक घोषित किया गया
लक्षद्वीप को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जैविक कृषि क्षेत्र घोषित किया गया है। यह 100% जैविक क्षेत्र का दर्जा हासिल करने के लिए सिक्किम के बाद दूसरे स्थान पर है। लक्षद्वीप इस लक्ष्य को हासिल करने वाला भारत का केंद्र शासित प्रदेश है।
मुख्य बिंदु
केंद्र सरकार की परमपरागत कृषि विकास योजना (जैविक खेती सुधार कार्यक्रम) के तहत लक्षद्वीप शासित प्रदेश के पूरे 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को जैविक के रूप में प्रमाणित किया गया है। पिछले 15 वर्षों से लक्षद्वीप में रसायनों और उर्वरकों का कोई शिपमेंट नहीं हुआ है। प्रशासन केवल खाद, पोल्ट्री खाद, हरी पत्ती खाद इत्यादि का उपयोग करके खेती का अभ्यास कर रहा है। लक्षद्वीप ने रसायनों की खरीद के लिए कोई खर्च नहीं किया है।
जैविक खेती क्या है?
इस तकनीक में प्राक्रतिक तरीकों से पौधों की खेती और पशुपालन शामिल है। यह मिट्टी की उर्वरता और पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने के लिए सिंथेटिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता है। जैविक खेती का उद्देश्य अपव्यय और प्रदूषण को कम करना है।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं
• परंपरागत कृषि विकास योजना को भागीदारी गारंटी प्रणाली प्रमाणीकरण के साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने के शुरू किया गया था। इसमें प्रशिक्षण, क्लस्टर गठन, विपणन और प्रमाणन शामिल है।
• तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन को 26% से 36% तक तिलहन की सिंचाई कवरेज बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था।
• सतत आधार पर देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल, गेहूं और दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन शुरू किया गया था। इस मिशन के तहत जैव उर्वरकों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
अन्य राज्य और जैविक खेती
2000 में ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य था। सिक्किम 100% ऑर्गेनिक बनने वाला पहला राज्य था।
लाभ: जैविक खेती के मुख्य लाभ निम्न इनपुट लागत, पर्यावरण के अनुकूल, मिट्टी की संरचना में सुधार, बेहतर मूल्य आदि हैं।