मौर्यकालीन कला और स्थापत्य

मौर्यकाल में विभिन्न शासकों ने कई नगरों के साथ-साथ स्तूपों, गुफाओं तथा स्तंभों का निर्माण करवाया। इस दौरान अशोक ने स्थापत्य कला में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया, उसके द्वारा निर्मित किये गए कई प्रतीक व चिह्न वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक हैं। सारनाथ के शीर्ष स्तम्भ पर चार सिंह पीठ सटाए बैठे हैं। यह चार सिंह एक चक्र धारण किये हुए हैं। चक्र में 24 तीलियाँ हैं। यह चक्र बुद्ध के धर्म चक्र-प्रवर्तन का प्रतीक है। अशोक के एकाश्म स्तंभों का सर्वोत्कृष्ट नमूना सारनाथ के सिंहस्तम्भ का शीर्ष है। रामपुरवा में नटूवा बैल ललित मुद्रा में खड़ा है। संकिशा स्तम्भ के शीर्ष पर हाथी की आकृति है। रामपुरवा के स्तम्भ शीर्ष को राष्ट्रपति भवन में रखा गया है।
मौर्यकाल में स्तूप की वस्तुकला भी काफी विकसित हुई। सम्राट अशोक ने काफी संख्या में स्तूपों कानिर्माण करवाया। इस दौरान निर्मित किये गए प्रमुख स्तूप इस प्रकार से हैं – साँची का महास्तूप, सारनाथ का धर्मराजिका स्तूप, भरहुत और तक्षशिला स्तूप इत्यादि। मौर्यकाल में चट्टानों को काटकर कई गुफाओं का निर्माण करवाया गया, इसमें सुदामा की गुफा, कर्णचौपड़ की गुफा और विश्व झोंपड़ी प्रमुख हैं।

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