याओशांग महोत्सव (Yaoshang Festival) क्या है?
लम्दा महीने (फरवरी-मार्च) की पूर्णिमा के दिन पांच दिनों तक मनाया जाने वाला याओशांग मणिपुर के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मैतेई लोगों (Meitei people) की स्वदेशी परंपराओं का हिस्सा है। यह हर गांव में सूर्यास्त के ठीक बाद Meitei peopleयाओशांग मेई थबा (पुआल की झोपड़ी को जलाना) से शुरू होता है।
याओशांग उत्सव क्या है?
मणिपुरी लोग होली को याओशांग उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। यह वसंत की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। उपासक इस दिन भजन और कीर्तन गाते हैं।
याओशांग मेई थाबा (Yaoshang Mei Thaba)
यह त्योहार के दौरान की जाने वाली एक रस्म है। चैतन्य महाप्रभु 15वीं शताब्दी के संत थे। उन्हें भगवान कृष्ण और देवी राधा का अवतार माना जाता है। याओशांग उत्सव के दौरान, भगवान चैतन्य की एक मूर्ति को घास से बनी झोपड़ी जैसी संरचना में रखा जाता है और छह से सात दिनों तक पूजा की जाती है। त्योहार से एक रात पहले, मूर्ति को हटा दिया जाता है और झोपड़ी को जलाकर राख कर दिया जाता है। दहन समारोह को “याओशांग मेई थाबा” कहा जाता है। राख को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इन राख को सिर पर और मोहल्ले के घरों के सामने छिड़का जाता है।
याओशांग उत्सव कौन मनाता है?
मैतेई जनजाति। आधुनिक समय के मणिपुरी मैतेई जनजाति हैं। वे मैतेई भाषा बोलते हैं। मैतेई म्यांमार और बांग्लादेश में फैले हुए हैं। भारत में, वे असम, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में रहते हैं। मणिपुर की 53% आबादी मैतेई जनजाति की है।