अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की, भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

2018 के बाद पहली बढ़ोतरी में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की वृद्धि की।

वृद्धि के कारण

फरवरी में, अमेरिका में मुद्रास्फीति 7.9% तक पहुंच गई, जो 40 वर्षों में सबसे अधिक है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार, ऊपर की ओर मुद्रास्फीति का दबाव है। इसलिए, बाजार में मुद्रा आपूर्ति को कम करने और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करनी होगी। यूएस फेडरल रिजर्व ने अनुमान लगाया कि 2022 के अंत तक इसकी नीति दर 1.75% और 2% के बीच होगी।

भारत पर प्रभाव

यदि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाती है, तो यह अमेरिका में निवेश को आकर्षक बना देगा क्योंकि वहां अच्छा रिटर्न मिलेगा। इस प्रकार, विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से अपना पैसा निकालेंगे और सुरक्षित रिटर्न के लिए अमेरिका में निवेश करेंगे। अगर भारत से पूंजी का पलायन जारी रहा तो इससे डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आएगी। अगर रुपया कमजोर होता है तो इसका परिणाम भारत के लिए आयातित मुद्रास्फीति में होगा।

RBI नीति निर्णय पर प्रभाव

ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले का अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक में RBI की मौद्रिक नीति समीक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। 

RBI का रुख

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उदार रुख अपनाना जारी रखा है। हालांकि, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.07% हो गई। जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.01% थी। इस प्रकार, यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) डेटा ने भारतीय रिजर्व बैंक (CPI) की ऊपरी सीमा 6% को पार कर लिया है।

यदि मुद्रास्फीति ऊपरी सीमा को पार करना जारी रखती है, तो RBI ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *