बोधगया में बनाई जा रही है शयन मुद्रा में भारत में भगवान बुद्ध की सबसे बड़ी मूर्ति
भारत में शयन मुद्रा में भगवान बुद्ध की सबसे बड़ी मूर्ति बिहार के बोधगया में बन रही है। भारत के बौद्ध तीर्थयात्रा सर्किट को सक्रिय रूप से पुनर्जीवित किया जा रहा है और बोधगया इसका एक अभिन्न अंग है।
मुख्य बिंदु
- इस प्रतिमा का निर्माण बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन द्वारा किया जा रहा है।
- यह प्रतिमा 30 फीट ऊंची और 100 फीट लंबी होगी।
- इस प्रतिमा में भगवान बुद्ध शयन मुद्रा में हैं।
- इस विशाल प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू हुआ था।
- इस प्रतिमा को फाइबरग्लास से बनाया जा रहा है और इसे कोलकाता के मूर्तिकारों द्वारा बनाया जा रहा है।
- फरवरी 2023 से भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा भक्तों के लिए खोल दी जाएगी।
- बोधगया वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए यहां मूर्ति बनाई जा रही है।
बोधगया (Bodh Gaya)
बोधगया बिहार के गया जिले में एक तीर्थ स्थल और धार्मिक स्थल है और महाबोधि मंदिर परिसर से जुड़ा हुआ है। यह उस स्थान के रूप में प्रसिद्ध है जहां गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। बोधगया प्राचीन काल से हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए भक्ति और पूजा का स्थान रहा है। मूर्तियों सहित पुरातत्व संबंधी निष्कर्ष बताते हैं कि बौद्ध मौर्य काल से ही इस स्थान का उपयोग कर रहे हैं। गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित चार सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बोधगया, कुशीनगर, लुंबिनी और सारनाथ हैं जिनमें बोधगया सबसे महत्वपूर्ण है। बोधगया में महाबोधि मंदिर को 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।