सैन्य फार्म (Military Farm) क्या हैं? भारतीय सेना ने उन्हें क्यों बंद किया?
भारतीय सेना ने 132 साल की सेवा के बाद 31 मार्च को अपने सैन्य फार्म (Military Farm) को बंद कर दिया है। सैन्य फार्म की स्थापना ब्रिटिश भारत में सैनिकों को गाय के दूध की आपूर्ति के उद्देश्य से की गयी थी।
मुख्य बिंदु
- अब, सैन्य फार्म को बंद कर दिया गया है और संगठन के लिए सेवा प्रदान करना जारी रखने के लिए मंत्रालय के भीतर फार्म के सभी अधिकारियों और श्रमिकों को फिर से नियुक्त किया गया है।
- फार्म को बंद करने के लिए कई सिफारिशें दी गई थीं।
- वर्ष 2012 में, क्वार्टर मास्टर जनरल शाखा ने बंद करने की सिफारिश की थी।
- इसके बाद दिसंबर 2016 में फिर से लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकातकर समिति ने भी फार्म को बंद करने का सुझाव दिया।
- पहला सैन्य फार्म 1 फरवरी, 1889 को इलाहाबाद में बनाया गया था।
- आजादी के बाद, पूरे भारत में 130 फार्म में 30,000 मवेशियों की संख्या में वृद्धि हुई।
- 1990 के दशक में, लेह और कारगिल में भी सैन्य फार्म की स्थापना की गई थी।
- एक सदी से भी अधिक समय से इन फार्म से 5 करोड़ लीटर दूध और 25,000 मीट्रिक टन घास की आपूर्ति की गयी।
- यह फार्म इसलिए आवश्यकता थे क्योंकि छावनी शहरी क्षेत्रों से दूरी पर स्थित होती थीं।
- अब शहरी विस्तार के साथ, कस्बों और शहरों के भीतर छावनियां भी आ गई हैं और दूध की खरीद खुले बाजार से की जा रही है।
- कई बार फार्म में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। फार्म को बंद करने में इन आरोपों का योगदान भी था।
प्रोजेक्ट फ्रिसवाल (Project Freiswal)
उन्होंने कृषि मंत्रालय के सहयोग से “प्रोजेक्ट फ्रिसवाल” की स्थापना की थी। प्रोजेक्ट फ्रिसवाल को दुनिया के सबसे बड़े मवेशी क्रॉस-ब्रीडिंग प्रोग्राम में से एक माना जाता है। इन फार्म ने जैव ईंधन के विकास में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ भी मिलकर काम किया।